देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पर पिछले कुछ दिनों से संकट के बादल घिरे हुए हैं। हजारों यात्री समय पर उड़ान न मिलने की परेशानी झेल रहे हैं, और अब यह मुद्दा सीधे संसद तक पहुंच चुका है। सवाल यह है कि जब उड़ानें ही तय समय पर न चलें, तो जनता अपनी मंज़िल तक कैसे पहुंचे?
✈️ क्या है Indigo Crisis?
पिछले चार दिनों में देशभर में इंडिगो की 1300 से ज्यादा उड़ानें या तो रद्द हुईं या घंटों देरी से चलीं। यह सिर्फ यात्रियों की परेशानी नहीं, बल्कि देश की एविएशन इंडस्ट्री की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। एयरलाइन के शेड्यूल बिगड़ने से यात्रियों को होटल बुकिंग, कनेक्टिंग फ़्लाइट, बिज़नेस मीटिंग और मेडिकल अपॉइंटमेंट तक मिस करने पड़े।
🏛️ संसद में उठी जनता की आवाज
संसद में BJP सांसद जगदंबिका पाल ने इस संकट को गंभीर बताया और कहा:
«“अगर DGCA ने एयरलाइंस पर निगरानी के लिए नियम बनाए हैं, तो इंडिगो उनका पालन क्यों नहीं कर रहा?”»
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जनता को इस तरह की अव्यवस्था में छोड़ना बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करने की ज़रूरत है, ताकि उड़ानों का संचालन सामान्य हो सके।
😣 यात्रियों की नाराज़गी चरम पर
एयरपोर्ट पर लाइनें बढ़ गईं, गेट बदलने की परेशानियाँ सामने आईं और सबसे बड़ी दिक्कत—सटीक जानकारी का अभाव।
कई यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें आख़िरी मिनट पर बताया गया कि उनकी फ्लाइट 5 घंटे लेट है या रद्द हो गई है। यह स्थिति न केवल असुविधाजनक है बल्कि विश्वास पर भी चोट करती है।
📌 Indigo पर उंगली क्यों उठ रही है?
– फ्लाइट क्रू की उपलब्धता में कमी
– शेड्यूलिंग में बड़े स्तर पर गड़बड़ी
– स्टाफ मैनेजमेंट में दिक्कत
– DGCA नियमों के अनुपालन पर सवाल
हालांकि कंपनी की ओर से बयान आया कि स्थिति सामान्य करने की कोशिश की जा रही
