भारत की राजनीति में धर्म और पहचान हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहे हैं, लेकिन हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद शिलान्यास को लेकर मचा विवाद फिर से माहौल गरम कर रहा है। इस बार चर्चा के केंद्र में हैं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिनकी स्पष्ट और कड़ी प्रतिक्रिया ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।
🔥 क्या है पूरा मामला?
तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हमायुं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद शिलान्यास किए जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ गई। उनके इस कदम ने न सिर्फ विपक्ष को नया मुद्दा दिया बल्कि राज्य सरकार पर भी सवाल उठने शुरू हो गए। टीएमसी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया, लेकिन विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ।
भाजपा ने सीधे ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए इसे “तुष्टिकरण की राजनीति” बताया।
🗣️ ममता बनर्जी का कड़ा बयान
6 दिसंबर को ‘सांप्रदायिक सौहार्द दिवस’ के मौके पर CM ममता बनर्जी ने बिना नाम लिए उन लोगों पर निशाना साधा जो देश में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा कि—
«“हमारी लड़ाई उन ताकतों से है जो देश को बांटकर कमजोर करना चाहती हैं। बंगाल शांति का संदेश देता है और देता रहेगा।”»
उनकी यह टिप्पणी साफ संकेत देती है कि राज्य सरकार इस मुद्दे को सिर्फ धार्मिक विवाद नहीं, बल्कि साम्प्रदायिक सद्भाव पर हमला मान रही है।
🧩 राजनीतिक गणित कैसे बदल रहा है?
बाबरी मस्जिद से जुड़ा मुद्दा पहले ही देश की राजनीति में संवेदनशील रहा है।
अब बंगाल में यह मुद्दा:
– मुस्लिम वोट बैंक पर प्रभाव डाल सकता है
– विपक्ष को सरकार पर सवाल उठाने का नया मौका देता है
– 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले माहौल को काफी हद तक बदल सकता है
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आने वाले महीनों में राज्य की राजनीतिक बयानबाजी को नए दिशा में ले जा सकता है।
🤝 सांप्रदायिक सौहार्द बनाम राजनीतिक टकराव
ममता बनर्जी बार-बार “एकता” और “सद्भाव” की बात करती हैं, वहीं विपक्ष इसे “राजनीतिक दिखावा” करार देता है।
सच तो यह है कि बंगाल जैसे विविधता वाले राज्य में धार्मिक मुद्दे बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में कोई भी विवाद तुरंत राजनीतिक रंग ले लेता है।
📌 निष्कर्ष
मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद शिलान्यास ने भले ही एक स्थानीय घटना के रूप में शुरुआत की हो, लेकिन इसका असर अब पूरे बंगाल की राजनीति पर दिख रहा है।
CM ममता बनर्जी का बयान इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वालों के खिलाफ अपने रुख को और तेज करने वाली है।
बंगाल में यह मुद्दा अभी खत्म होने वाला नहीं — आने वाले दिनों में इसका राजनीतिक तापमान और बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
