10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला क्षेत्र के पास हुए कार धमाके ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को हिला कर रख दिया। इस हमले के तार अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Faridabad) तक जाते दिख रहे हैं। जांच में शामिल एजेंसियों — खासकर ईनफॉर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) — ने यूनिवर्सिटी के 25 ठिकानों पर रेड की सूचना दी है, जिससे न सिर्फ आतंकवाद के आरोप बल्कि वित्तीय गड़बड़ी और मान्यता-धोखाधड़ी की भी पारदर्शिता संदिग्ध हो गई है।
जांच का हाल और मुख्य खुलासे
1. 25 ठिकानों पर ED की कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक, ED ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कम-ज्यादा 25 स्थानों पर छापे मारे हैं।
2. फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश
गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि यूनिवर्सिटी के सभी वित्तीय और प्रशासनिक रिकॉर्ड्स की फॉरेंसिक ऑडिट की जाए।
3. वेबसाइट बंद, मान्यता विवादित
जांच के दौरान यूनिवर्सिटी की वेबसाइट ऑफलाइन हो गई थी। इसके अलावा, NAAC (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) ने यह आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी उसका मान्यता प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से प्रस्तुत कर रही थी।
4. AIU सद्भागिता रद्द
Association of Indian Universities (AIU) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता रद्द कर दी है और यूनिवर्सिटी से उस संगठन का लोगो हटाने का निर्देश दिया है।
5. डॉक्टरों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी
जांच में कुछ डॉक्टर — जिनका यूनिवर्सिटी से सीधा जुड़ाव है — पर धमाकों की साजिश में शामिल होने का संदेह है।
6. चेयरमैन और अन्य आरोप
यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद सिद्दीकी के भाई की भी गिरफ्तारी हुई है। उन पर पुराने वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप हैं।
7. इतिहास और पृष्ठभूमि
यूनिवर्सिटी के संस्थापक और अन्य प्रमुख पदाधिकारियों का पूर्व इतिहास भी लगातार जांच में आ रहा है — जिसमें तिहाड़ जेल की पृष्ठभूमि जैसी बातें चर्चा में हैं।
8. मास्टरमाइंड कनेक्शन
खबरों के अनुसार, डॉ. उमर उन नबी और डॉ. मुज़म्मिल को जांच एजेंसियों ने मास्टरमाइंड माना है। इनके पास ब्लास्ट की योजना की डायरी और अन्य गवाह मिले हैं।
9. छापों में पूछताछ और हिरासत
यूनिवर्सिटी परिसर में छापे के दौरान लगभग 25 लोगों को हिरासत में लिया गया, और उनमें से कई की बंद कमरों में पूछताछ हुई है।
10. विदेशी निधि-संदेह
जांचकर्ताओं को यह संदेह है कि यूनिवर्सिटी को अरब देशों से फंडिंग मिली हो सकती है।
संभावित प्रभाव और आगे की राह
अगर ED व अन्य एजेंसियों की जांच से ये आरोप पुष्टि होते हैं, तो इतिहास में एक बड़ा आतंक-फंडिंग और विमुद्रीकरण का मामला बन सकता है।
यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द होना छात्रों और अभिभावकों के लिए बेहद चिंताजनक हो सकता है — विशेषकर उन लोगों के लिए जिन्होंने अभी डिग्री पूरी नहीं की है।
इस पूरी घटना से यह संदेश जाता है कि शैक्षणिक संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता न होने पर भी सुरक्षा की दृष्टि से विफलता हो सकती है।
सरकार और नियामक एजेंसियों की भूमिका अहम होगी: कैसे वे न सिर्फ जांच करें, बल्कि भविष्य में ऐसी संस्थाओं पर निगरानी बढ़ाएं ताकि शैक्षणिक संस्थानों का दुरुपयोग न हो सके।
निष्कर्ष
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर ED की 25 ठिकानों पर रेड और दिल्ली लाल किला धमाके से जुड़े तार इस मामले को सिर्फ एक आतंक-वित्तिंग जांच से कहीं आगे ले जाते हैं। यह शैक्षणिक, वित्तीय और सुरक्षा सभी स्तरों पर बहुआयामी संकट की कहानी है। जांच के अगले पड़ाव में जो भी सामने आएगा, उसका नतीजा न केवल यूनिवर्सिटी बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी गहरा असर डालेगा।

