बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में आए परिणाम साफ संकेत दे रहे हैं कि यहाँ के वोटर ने केवल जाति-धर्म की राजनीति को किनारे करके “परफॉरमेंस” और विकास की भाषा चुनी है।
National Democratic Alliance (NDA) की ओर झुकाव का एक बड़ा कारण महिलाओं व युवाओं में बढ़ती सक्रियता रही है — यह वही मतदाता-गुट है जिसने पुरानी राजनीति से ऊबा हुआ था।
इस बार की खास बात यह भी रही कि मतदान दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची। Election Commission of India (EC) के मुताबिक मतदान 66.9 % तक गया, जो इस राज्य की अब तक की सबसे ऊँची दर है।
विश्लेषकों का मानना है कि NDA की बड़ी जीत में तीन प्रमुख फैक्टर काम कर गए:
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महिला वोट बैंक — महिलाओं को निशाना बनाकर योजनाएँ और नकद हस्तांतरण मिला, जिसने उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया।
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युवा एवं पहली बार वोटर — विकास-रोज़गार-आधुनिकता जैसे वादों ने युवा मतदाताओं को प्रभावित किया।
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विराम संकेत जातिगत राजनीति को — पूर्व की राजनीति में वर्चस्व बनाए रखने वाली पार्टियों को इस बार चुनौतियाँ आईं क्योंकि वोटरों ने फिर से यह साबित किया कि वे सिर्फ चिह्न और वादों से नहीं बल्कि काम और भरोसे से वोट देंगे।
दूसरी ओर, Indian National Congress की हालत चिंताजनक रही — बिहार में उनकी वापसी नहीं हो पाई और उन्हें फिर से गहरी हार का सामना करना पड़ा।
अगले कुछ हफ्तों में देखना होगा कि इस जनादेश का असर राज्य-स्तरीय नीतियों और सरकार बने गठबंधन के काम-काज पर क्या पड़ता है। क्या यह सिर्फ एक मतदात्री मूड का बदलाव है, या भविष्य में पूरे देश की राजनीति के लिए एक संकेत?
