UPSC सिविल सर्विसेज की तैयारी में एक बड़ा सवाल हमेशा आता है — ऑप्शनल विषय क्या लें? यह फैसला सिर्फ एक विषय चुनने जितना सरल नहीं है; सही चुनाव आपकी मेन्स में रैंक और आत्मविश्वास दोनों बदल सकता है। पिछले 10 साल के टॉपर्स के विकल्पों पर नजर डालें तो कुछ सामान्य पैटर्न और उपयोगी सबक मिलते हैं। नीचे साल दर साल कौन-सा टॉपर किस ऑप्शनल से आगे निकला और उनसे क्या सीख लें — सरल भाषा में समझाया गया है।
2024 — शक्ति दुबे (राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
राजनीति विज्ञान ने सामान्य अध्ययन व इंटरव्यू दोनों में मदद की। यदि आपकी रुचि समसामयिकी और प्रशासनिक सिद्धांतों में है तो यह विषय बहुत उपयोगी है।
2023 — आदित्य श्रीवास्तव (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)
अपनी ग्रेजुएशन/प्रोफेशनल स्टैंडर्ड को ऑप्शनल में लेने से गहरी पकड़ मिलती है। तकनीकी विषयों में विशेषज्ञता होने पर उम्मीदवारों को पेपर-लिखने और अंकों में लाभ मिलता है।
2022 — इशिता किशोर (राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
दोहराव: राजनीति विज्ञान का प्रभाव — समसामयिकता और थ्योरी को जोड़ने वाला विषय होने की वजह से टापर्स में इसकी पकड़ मजबूत दिखी।
2021 — श्रुति शर्मा (इतिहास)
इतिहास चुनने वाले अक्सर गहन रीडिंग और कंटेक्स्ट बनाते हैं। यदि आपकी स्मृति और विश्लेषण अच्छी है तो इतिहास स्कोर कर सकता है।
2020 — शुभम कुमार (एंथ्रोपोलॉजी)
छोटा सिलेबस, क्लियर कॉन्सेप्ट और स्कोरेबल मॉडल — एंथ्रोपोलॉजी ने कई कैंडिडेट्स को फायदा दिया है, खासकर जो समाज-विज्ञान में दिलचस्पी रखते हैं।
2019 — प्रदीप सिंह (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन)
लोक प्रशासन सीधे सिविल सेवा के देहात और प्रशासनिक सिचुएशंस से जुड़ा विषय है — इसका व्यावहारिक लाभ बहुत स्पष्ट होता है।
2018 — कनिष्क कटारिया (गणित)
गणित चुनने का मतलब लगातार प्रैक्टिस और कड़ा लॉजिकल थिंकिंग। यदि आप गणित में मास्टर हैं तो यह ऑप्शनल हाई स्कोर दे सकता है।
2017 — अनुदीप दुरीशेट्टी (एंथ्रोपोलॉजी)
फिर दोबारा एंथ्रोपोलॉजी — इस विषय की लोकप्रियता और स्कोरिंग-नेचर साफ दिखाई देता है।
2016 — नंदिनी के.आर. (कन्नड़ साहित्य)
क्षेत्रीय भाषा या साहित्य लेकर भी टॉप किया जा सकता है — यह साबित करता है कि सही रणनीति और मेहनत से मातृभाषा भी बेहतरीन विकल्प बन सकती है।
इससे आपको क्या सीखने को मिलता है?
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स्ट্রेंथ पर भरोसा करें — अपनी पढ़ाई/डिग्री या रुचि वाले विषय को प्राथमिकता दें।
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सिलेबस और स्कोरबिलिटी देखें — कुछ विषय छोटा सिलेबस और स्पष्ट उत्तर पैटर्न देते हैं।
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समसामयिकता व इंटरव्यू कनेक्ट — जैसे राजनीति विज्ञान, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ऐसे विषय हैं जो इंटरव्यू में भी मदद करते हैं।
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लगातार अभ्यास जरूरी — गणित या तकनीकी विषय हों या साहित्य, निरंतर प्रैक्टिस और पेपर-राइटिंग की आदत बनाइए।
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मेट्रिक-आधारित निर्णय — रैंक-लक्ष्य, उपलब्ध समय, ग्रेजुएशन बैकग्राउंड और पढ़ने की क्षमता मिलाकर निर्णय लें।
अंत में (Quick tip)
ऑप्शनल बदलने से पहले कम-से-कम एक साल के पेपर-ट्रायल दीजिए — कई बार शुरुआती कठिनाई गायब हो जाती है और आपने जो चुना है वही बेहतर साबित होता है।
